जैसा कि हम सभी जानते हैं की ड्रिप इरीगेशन और स्प्रिंकलर इरिगेशन के प्रयोग में मुख्य लाइन में हार्ड पी.वी.सी पाइप का प्रयोग किया जाता रहा है | हार्ड पी.वी.सी पाइप को उबड़ खाबड़ जगहों पर प्रयोग करना काफी मुश्किल का काम होता है| किसानों को हार्ड पी.वी.सी पाइप का उपयोग करने के लिए सर्वप्रथम उन्हें खेत को एक समान समतल करना पड़ता है | जिसमें काफी अधिक समय लगता है | हार्ड पी.वी.सी पाइप में मुख्यता यह समस्या अक्सर देखने को मिलती है कि किसी भी प्रकार का वाहन अगर पाइप से होकर गुजर जाता है तो वह पाइप टूट जाता है जिससे कि किसानों को काफी नुकसान होता है |
सर्वोत्तम Heavy Duty –
वी.के की नई रेंज सर्वोत्तम Heavy Duty लपेटा पाइप जो कि एक अन्य साधारण लपेटा पाइप की तुलना में बहुपरत और अधिक टिकाऊ है |यह पाइप यू.वी कोटेड होने के कारण सूर्य की किरणों का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है |और यह सालों साल तक चलता रहता है
वी.के सर्वोत्तम Heavy Duty का यह पाइप ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर इरिगेशन सिस्टम की मुख्य लाइन को चलाने के लिए हार्ड पीवीसी पाइप की अपेक्षा बहुत अधिक टिकाऊ, उबड़ खाबड़ जगहों पर फैलाने में आसानी, और किसी भारी वाहनों के गुजर जाने से फटने का भी भय नहीं रहता है |
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हार्ड पी.वी.सी पाइप एक बार टूट जाने पर हमें पुनः नया ही खरीदना पड़ता है जबकि वी.के सर्वोत्तम के इस लपेटा पाइप में अगर किसी भी प्रकार का पंचर या छेद हो जाता है तो कंपनी द्वारा दिए गए पंचर किट के द्वारा उसको पुनः सही किया जा सकता है |

ड्रिप इरिगेशन सिस्टम
ड्रिप इरिगेशन सिस्टम जिसे हम बूंद बूंद सिंचाई प्रणाली के नाम से भी जानते हैं किसान खेत में साधारण सिंचाई की जगह अगर ड्रिप सिंचाई विधि का प्रयोग करें तो 3 गुना ज्यादा क्षेत्र में उतने ही पानी में सिंचाई करना संभव हो पाता है ड्रिप सिंचाई का प्रयोग सभी फसलों की सिंचाई में करते हैं, लेकिन बागवानी में इसका प्रयोग ज्यादा अच्छे से होता है। बागवानी में जैसे केला, पपीता, नींबू जैसी फसलों में सफलतापूर्वक करते हैं। बागवानी की तरह ही ड्रिप सिंचाई विधि का प्रयोग गन्ना और सब्जियों में भी कर सकते हैं।
ड्रिप सिंचाई से लाभ
ड्रिप सिंचाई में पेड़ पौधों को नियमित और जरूरी मात्रा में पानी मिलता रहता है ड्रिप सिंचाई विधि से उत्पादकता में 30 से 40% तक अधिक उत्पादन मिलता है इस सिंचाई प्रणाली से 60 से 70% तक पानी की बचत होती है इस विधि से ऊंची नीची जमीन पर समान रूप से पानी पहुंचता है इसमें सभी पोषक तत्व सीधे पानी से पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जा सकता है जिससे उत्पादकता में अधिक वृद्धि होती है
स्प्रिंकलर इरीगेशन सिस्टम
स्प्रिंकलर सिंचाई विधि से सिचाई में पानी को छिड़काव के रूप में प्रयोग किया जाता है जिसमें पानी पौधों पर बारिश की बूंदों की तरह पड़ता है इसमें पानी की बचत और उत्पादकता के हिसाब से स्प्रिंकलर विधि ज्यादा उपयोगी मानी जाती है यह सिंचाई तकनीक अधिक लाभदायक साबित हो रही है चना सरसों और दलहनी फसलों के लिए यह विधि बहुत उपयोगी मानी जाती है सिंचाई के दौरान इस विधि में भी पानी में दवा मिला दी जाती है जो पौधों की जड़ में जाती है ऐसा करने पर पानी की बर्बादी नहीं होती है |
स्प्रिंकलर सिंचाई से लाभ
स्प्रिंकलर सिंचाई विधि में से पानी वर्षा की बूंदों की तरह फसलों पर पड़ती है जिससे कि खेत में जलभराव का भी खतरा नहीं होता है जिस जगह पर खेत उबड़ खाबड़ होते हैं वहां पर भी इस विधि से बहुत आसानी से सिंचाई को किया जा सकता है इस विधि से सिंचाई करने पर मिट्टी में नमी बनी रहती है और सभी पौधों को एक समान पानी मिलता रहता है इसमें भी सिंचाई के साथ ही कीटनाशक उर्वरक आदि का छिड़काव किया जा सकता है पानी की कमी वाले क्षेत्रों में याद विधि अत्यंत लाभदायक है |
रेन इरिगेशन सिस्टम
रेन इरिगेशन सिस्टम इस सिंचाई प्रणाली को वर्षा सिंचाई प्रणाली के नाम से भी जानते हैं यह सिंचाई प्रणाली जब खेतों में काम करती है तो मानो ऐसा लगता है कि खेतों में बारिश हो रही हो यह सिंचाई प्रणाली सब्जियों की खेती में अत्यंत लाभदायक मानी जाती है |
रेन इरिगेशन सिस्टम सिंचाई से लाभ
यह सिंचाई प्रणाली ना केवल पानी की बचत करती है बल्कि हवा में मौजूद नाइट्रोजन को भी पानी के साथ मिलाकर पौधों को उपलब्ध करती है | हवा में मौजूद यह नाइट्रोजन पौधों की लिए अत्यंत लाभदायक होती है |